सुप्रीम कोर्ट - राज्यपाल पर समय न देने का आरोप लगाने वाली शिवसेना ने अपनी याचिका में इस बात का जिक्र तक नहीं किया

सरकार बनाने को जरूरी समर्थन की चिठ्ठी सौंपने के लिए शिवसेना ने राज्यपाल से 3 दिन का समय मांगा था


राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना की यह मांग नामंजूर कर दी थी


सरकार बनाने के लिए समय नहीं मिलने पर शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया


शिवसेना के वकील ने कहा- राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राजनीतिक हालात बदल चुके हैं



नई दिल्ली. महाराष्ट्र में राज्यपाल के फैसले के खिलाफ बुधवार को शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची। पार्टी ने अपनी याचिका में उस बात का जिक्र तक नहीं किया, जिसमें राज्यपाल पर सरकार बनाने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिए जाने का आरोप लगाया गया था। दरअसल, शिवसेना ने राज्यपाल पर जरूरी समर्थन का पत्र सौंपने के लिए 3 दिन का समय नहीं देने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु होने से पहले शिवसेना के वकीलों ने कहा- पार्टी ने याचिका में इसका जिक्र नहीं करना उचित समझा, क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राजनीतिक हालात बदल चुके हैं।


पार्टी के वकील सुनील फडणवीस ने कहा- राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के खिलाफ दूसरी याचिका की तैयारी की जा रही है। हालांकि, शिवसेना की तरफ से यह याचिका बुधवार को दाखिल नहीं की गई और इस पर फैसला होना बाकी है। एक अन्य वकील देवदत्त कामत ने कहा, “राष्ट्रपति शासन लगने के बाद नई याचिका दाखिल करने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है।”


गृह मंत्रालय, महाराष्ट्र शासन और राकांपा को पार्टी बनाया
शिवसेना ने मंगलवार को राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। याचिका में राज्यपाल का फैसला रद्द करने की मांग की गई थी। पार्टी ने दावा किया था कि सोमवार (11 नवंबर) को उसे सरकार बनाने का आमंत्रण मिला था और मंगलवार को ही उसने अपनी इच्छा जता दी थी। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन का हवाला दिया गया था। याचिका में गृह मंत्रालय, महाराष्ट्र शासन और शरद पवार की राकांपा को पार्टी बनाया गया है।



महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ
महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। राज्यपाल ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि नतीजे सामने आने के 15 दिन बाद भी कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन लगाना ही बेहतर विकल्प है।